Friday, December 31, 2010

NEW YEAR

नव वर्ष पर सारे मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ

Wednesday, December 29, 2010

meri kavita

      पुकार
          1
उसने पुकारकर कहा
सुनिए ...
थम गई
समूची कायनात तबसे
अविचल
दूसरे शब्द की
प्रतीक्षा में
साँस खींचे
       
जाने क्यूँ
पहुंचती नहीं
दिल तक
हर पुकार
कुछ ही रह जाती है जिंदा
वरना तो खो जाती हैं
सुने जाने के अनवरत
इंतजार में
      ३
पुकार ने
पुकारकर कहा
बैठी हूँ तनहा
कभी कोई कहीं
मुझे भी तो
पुकार ले
      ४
पुकार भी होती है
बेहिस व्याकुल
तनहा
तभी तो
पुकारी जाती है.
    
पुकार ने पूछा
यदि मैंने
मुक्ति मांगी
तो क्या होगा?


Monday, December 27, 2010

meri kavita

अनामिका जी के काव्य संग्रह "खुरदुरी हथेलियाँ" की कविता 'बेजगह' तथा 'डाक टिकट' को पढ़ते हुए मैंने प्रेरित होकर कविता लिखी -
हिम्मत  
ओ लड़की!
लडकियाँ हवा, धूप, मिट्टी होती हैं
उनका कोई घर नहीं होता..

तभी तो
हर घर में समा जाती हैं
रोज रगड़कर निकालो चाहे
फिर आकर बस जाती हैं

प्रकाश चौंधियाता है सबको
धूप तो चुपके से आ जाती है
तूफ़ान कहर मचाता चाहे
हवा तो सहला जाती है
घर सहारा ले खड़ा होता है
मिट्टी तो छब जाती है

क्या हवा, धूप, मिट्टी बांध लोगे
सुनूँ तो ज़रा
कैसे bandh लोगे


ऍफ़. आई.आर.
मैं तो नन्ही- सी
नाजुक पतली - सी
टिकट हूँ ना
तुम तो
बहुत बहुत बड़े
मजबूत और खूबसूरत
कागज़ के लिफाफे हो
तुम्हें स्वीकारता नहीं कोई
बेनूर, बेरंग हो जाते हो
और फिर बैरंग
लौट आते हो
बगैर मेरे.
नन्ही मैं
तुम्हें पूरापन दे देती हूँ
तुमको सम्मान
खुद सटकर  दे देती हूँ.
बच्चे भी
अलग करते तुमसे मुझको
सहेज लेते मुझे
फेंक देते तुमको
क्या इसलिए बस
डरते हो?
विदीर्ण कर देते मुझको
बच्चे जब छुडाते
तुमसे अस्तित्व मेरा
तुम मजबूत
खूबसूरत कागज़ के लिफाफे
मेरे साथ
आने के पहले ही 
उधेड़ देते हो
मुझको!
पता है ना तुमको
सिल ठप्पा लगने के बाद
यूज्ड करार दी जाती हूँ
मेरा
जबरदस्ती दुबारा इस्तेमाल
अपराध की श्रेणी में आता है
ये तुम्हारे ही
भाई बंधुओं को समझ
क्यों नहीं आता है

Friday, December 24, 2010

stri swatantrata ki prtigya

स्त्री स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा
१. विवाह के प्रतीक चिन्ह जो पुरुषों के लिए समान रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, मैं उनका त्याग कराती हूँ.
२. मैं पति के नाम पर बिंदी धारण नहीं करूंगी.
३. मैं पति के नाम सिन्दूर धारण नहीं करूंगी.
४. मैं पति के नाम पर मंगलसूत्र धारण नहीं करूंगी.
५. मैं पति के नाम पर चूड़ी धारण नहीं करूंगी.
६. मैं पति के नाम पर बिछुए धारण नहीं करूंगी.
७. मैं ससुरालवालों के समक्ष न तो सर ध्हकुंगी, न ही किसी भी किस्म का पर्दा करूंगी.
८. मैं विवाह के लिए कोर्ट मैरिज को ही मान्यता दूँगी.
९. मैं अपने पति से घरेलू कार्यों में मदद की अपेक्षा करूंगी.
10. मैं अपने बेटे को बाहरी और घरेलू दोनों ही कार्यों में प्रशिक्षित करूंगी.
१1. मैं अपनी बेटी को बाहरी और घरेलू दोनों ही कार्यों में प्रशिक्षित करूंगी.
१2. मैं धर्म पर आधारित वे तमाम नियम जिनको दबावपूर्वक या मानसिक अनुकूलन की रणनीति के माध्यम से छलपूर्वक मुझ पर लागू किये जाते हैं, उनको अमान्य करती हूँ.
13. मैं उन तमाम व्रतों और उपवासों के पाखंड को अस्वीकार कराती हूँ जो मेरे पुरुष रिश्तेदारों की सकुशलता के लिए धार्मिक रूप से स्त्रियों पर लादे गए हैं.
14. मैं किसी पर भी आश्रित हुए बगैर अपने कार्य सामाजिक सहभागिता के साथ पूर्ण करूंगी.
15. मैं सदा सत्य बोलूंगी.
16. मैं चोरी नहीं करूंगी.
17. दूसरों का सम्मान मेरे लिए आत्मसम्मान जैसा ही आदरणीय है.
18. मैं जातिविहीन स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए सदैव तत्पर रहूंगी.
19. मैं भारत के लोकतान्त्रिक समाज के निर्माण में अपना पूरा सहयोग प्रदान करूंगी.
20.  मैं अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करूंगी.
२1. मैं अपने  संवैधनिक अधिकारों की रक्षा करूंगी.
22. मैं अपनी पहचान सिर्फ एक भारतीय के रूप में स्थापित करूंगी.
23. मैं अपने भारतीय होने पर गर्व करूंगी.

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by hemlata mahishwar