बारिश सारी रात होती रही,
जाने किसकी याद में रोती रही.
जाने किसको सदा देती है वो,
टकरा के फलक से खोती रही.
दर्द ए कुदरत जाने कौन भला,
दामन शबनम से भिगोती रही.
इस जहाँ कि वो नहीं शायद,
मेरे गम से जो परेशां होती रही.
जाने किसकी याद में रोती रही.
जाने किसको सदा देती है वो,
टकरा के फलक से खोती रही.
दर्द ए कुदरत जाने कौन भला,
दामन शबनम से भिगोती रही.
इस जहाँ कि वो नहीं शायद,
मेरे गम से जो परेशां होती रही.