स्त्री स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा
१. विवाह के प्रतीक चिन्ह जो पुरुषों के लिए समान रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, मैं उनका त्याग कराती हूँ.
२. मैं पति के नाम पर बिंदी धारण नहीं करूंगी.
३. मैं पति के नाम सिन्दूर धारण नहीं करूंगी.
४. मैं पति के नाम पर मंगलसूत्र धारण नहीं करूंगी.
५. मैं पति के नाम पर चूड़ी धारण नहीं करूंगी.
६. मैं पति के नाम पर बिछुए धारण नहीं करूंगी.
७. मैं ससुरालवालों के समक्ष न तो सर ध्हकुंगी, न ही किसी भी किस्म का पर्दा करूंगी.
८. मैं विवाह के लिए कोर्ट मैरिज को ही मान्यता दूँगी.
९. मैं अपने पति से घरेलू कार्यों में मदद की अपेक्षा करूंगी.
10. मैं अपने बेटे को बाहरी और घरेलू दोनों ही कार्यों में प्रशिक्षित करूंगी.
१1. मैं अपनी बेटी को बाहरी और घरेलू दोनों ही कार्यों में प्रशिक्षित करूंगी.
१2. मैं धर्म पर आधारित वे तमाम नियम जिनको दबावपूर्वक या मानसिक अनुकूलन की रणनीति के माध्यम से छलपूर्वक मुझ पर लागू किये जाते हैं, उनको अमान्य करती हूँ.
13. मैं उन तमाम व्रतों और उपवासों के पाखंड को अस्वीकार कराती हूँ जो मेरे पुरुष रिश्तेदारों की सकुशलता के लिए धार्मिक रूप से स्त्रियों पर लादे गए हैं.
14. मैं किसी पर भी आश्रित हुए बगैर अपने कार्य सामाजिक सहभागिता के साथ पूर्ण करूंगी.
15. मैं सदा सत्य बोलूंगी.
16. मैं चोरी नहीं करूंगी.
17. दूसरों का सम्मान मेरे लिए आत्मसम्मान जैसा ही आदरणीय है.
18. मैं जातिविहीन स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए सदैव तत्पर रहूंगी.
19. मैं भारत के लोकतान्त्रिक समाज के निर्माण में अपना पूरा सहयोग प्रदान करूंगी.
20. मैं अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करूंगी.
२1. मैं अपने संवैधनिक अधिकारों की रक्षा करूंगी.
22. मैं अपनी पहचान सिर्फ एक भारतीय के रूप में स्थापित करूंगी.
23. मैं अपने भारतीय होने पर गर्व करूंगी.
copy right reserved
by hemlata mahishwar
मेरे पुराने कमेंट्स कहीं गुम गए हैं.
ReplyDelete1.Well,inovative and creative work so for.
ReplyDelete2.Starting is nice but ahead, is not so better.Some points appears,have been added un-necessary.Instead, some better points left untouched e.g.
> 'Putri paraya dhan hai'- main is dhaarna ka pratiwad karti hun.
>. Pauranik mithkon; jaise 'Sita ki agni-pariksha' aadi ko main apni puri shakti ke sath a-swikar karti hun.
>.'Stri ghar ki maryada hai'- ko main gulami ka pratik manti hun kyonki yah purush ko a-maryadit rahne ki chhoot deta hai, aadi...aadi
jab pratigya court marrige ki ho rahi hai, bhartiya hone ki ho rahi hai to baki sab kya bemani nahin ho jata? bhartiya hone ka matalab samvaidhanik adhikar avam kartavyon ka palan. mujhe puranon aur dharmshastron ke astitva ko vileen karana hai. unka naam lene par to sthapana hi hogi na
ReplyDeleteबहस की दिशा सार्थक हो रही है.
ReplyDeleteyah achchhi shuruvat hai
ReplyDeleteachha hai.....
ReplyDeleteHi, Hemlatan ji,how are you,
ReplyDeletewe all are fine here,enjoying toooooooooooooooomuch thandi,
I cant read you kavitayen,its only show ........
mam aapne itana kucch likh diya par mere vichar me sringar se kisi aurat ko parhej nahi hai aur yeh hamari sanskriti ka hi hissa hai mai mere vichar se rudhhiwadi vicharo ka virodh hona chahiye lekin sanskriti ka virodh sahi nahi
ReplyDeleteSub pratigya ko mila-kar kewal ek (only one effectively) pratgya hee hoti tub kuchh jyada asardar hota.
ReplyDeleteAkhiri Pratigya pahile kee sabhee pratigyao ko dhudhla kar de rahi hai.
Bharatiya hone ka kya matlab hota hai......
This is just for continuation of discussion....
Shayad kisi ka purushtatva jag jaye.... Shabdo ka asar kabhi kabhi jyada hota hai.....
Jai hind !
Dr H S Tewari, Bilaspur (GGV)
बहुत धन्यवाद. भारतीय होने का मतलब है भारतीय संविधान के अनुसार आचरण करना. प्रतिज्ञाओं को मैंने साहित्य अकादमी के एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रस्तुत किया था, जिसकी अध्यक्षता अशोक बाजपेयी कर रहे थे और भारत की अनेक भाषाओँ की स्त्री रचनाकार भी उपस्थित थीं. एक एक प्रतिज्ञा धीरे धीरे स्वतंत्रता के द्वार खोलती है. इसलिए अलग अलग प्रतिज्ञा आवश्यक है.
ReplyDelete