Wednesday, December 29, 2010

meri kavita

      पुकार
          1
उसने पुकारकर कहा
सुनिए ...
थम गई
समूची कायनात तबसे
अविचल
दूसरे शब्द की
प्रतीक्षा में
साँस खींचे
       
जाने क्यूँ
पहुंचती नहीं
दिल तक
हर पुकार
कुछ ही रह जाती है जिंदा
वरना तो खो जाती हैं
सुने जाने के अनवरत
इंतजार में
      ३
पुकार ने
पुकारकर कहा
बैठी हूँ तनहा
कभी कोई कहीं
मुझे भी तो
पुकार ले
      ४
पुकार भी होती है
बेहिस व्याकुल
तनहा
तभी तो
पुकारी जाती है.
    
पुकार ने पूछा
यदि मैंने
मुक्ति मांगी
तो क्या होगा?


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