Friday, January 28, 2011

ek gazal

बारिश सारी रात होती रही,
जाने किसकी याद में रोती रही.

जाने किसको सदा देती है वो,
टकरा के फलक से खोती रही.

दर्द ए कुदरत जाने कौन भला,
दामन शबनम से भिगोती रही.

इस जहाँ कि वो नहीं शायद,
मेरे गम से जो परेशां होती रही.

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